ILO (International Labour Organisation) और IHD(Institute of Human Development) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के बेरोजगार कार्यबल में लगभग 83% युवा हैं और कुल बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की हिस्सेदारी 2000 में 35.2% से लगभग दोगुनी होकर 2022 में 65.7% हो गई है। तो आईये जानें क्या है भारत में बेरोज़गारी की समस्या ।
क्या है बेरोज़गारी ? What is unemployment ?
बेरोज़गारी का मतलब है जब एक व्यक्ति सक्रिय रूप से नौकरी ढूंढ़ता है और नौकरी ढूंढने के बाद भी वो कोई अच्छा काम नहीं ढूंढ पता , उस अवस्था को कहते हैं बेरोज़गारी।
भारत में युवा पढ़ता लिखा तो है , लेकिन अपनी field में उसका काम ढूढ़ना बहुत मुश्किल हो गया है। Higher education और अच्छी Skills होने के बावजूद भी वह कोई काम ढूंढने में असफल हो गया है।
बेरोज़गारी कई प्रकार की होती है जैसे की:
- मौसमी बेरोज़गारी (seasonal unemployment ): इस तरह की बेरोज़गारी साल के एक निश्चित मौसम के दौरान आती है ।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी (disguised unemployment): इसका मतलब है की ज़रूरत से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देना ।
- संरचनात्मक बेरोज़गारी (Structural Unemployment ): यह बेरोज़गारी की एक ऐसी क्षेणी है जो उत्पन्न होती है तब जब नौकरियां और स्किल्स संतुलन न होने के कारन होती है ।
- चक्रीय बेरोज़गारी (Cyclical Unemployment): यह एक ऐसी बेरोज़गारी की क्षेणी है जो कंपनियों के recessions के दौरान उत्पन्न होती है ।
- तकनीकी बेरोज़गारी(Technological Unemployment): इस तरह की बेरोज़गारी तब उत्पन्न होती है जब techology में बढ़ोतरी के कारण लोग नौकरी ना पा सकें।
- घर्षण बेरोज़गारी(Frictional Unemployment): एक कर्मचारी को नई नौकरी खोजने के लिये समय की आवश्यकता होती है, यह अपरिहार्य समय की देरी घर्षण बेरोज़गारी का कारण बनती है।
- सुभेद्य रोज़गार(Vulnerable Employment): मतलब जब कोई व्यक्ति बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट के काम कर रहा हो और उसका कोई भी डाटा किसी फाइल में न पाया जाये ।
क्या हैं भारत में बेरोज़गारी के कारण ? Reasons of unemployment in India!
भारत में बेरोज़गारी के बहुत सारे कारण हैं जैसे:
उच्चित स्किल्स का ना होना: भारत में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास एक उच्चित डिग्री या स्किल्स नहीं हैं , जिसके कारण वह एक अच्छी नौकरी नहीं कर पाते ।
बढ़ती जनसँख्या: जनसँख्या में बढ़ोतरी एक बहुत बड़ा कारण है । जनसंख्यां ज़्यादा होने के कारण और नौकरियों की संख्या कम होने के कारण भी बहुत सारे लोग बेरोज़गार रहते हैं ।
संयुक्त परिवार: एक बड़े संयुक्त परिवार का अगर अच्छा काम काज चल रहा है तो उस घर के बच्चे पैतृक संपत्ति पे निर्भर रहेंगे , इस वजह से भी बेरोज़गारों की संख्या बढ़ती है ।
छोटे बिज़नेस का बंद होना: बड़े बुसिनेसों की वजह से गाँव के छोटे छोटे काम काजों का बंद होना भी बेरोज़गारों की संख्या में बढ़ौतरी लता है।
बढ़ती बेरोज़गारी के साथ बढ़ रहे देश में अवैध काम ! Increase in crimes due to unemployment !
बढ़ती बेरोज़गारी के कारण देश का युवा गलत राह पे चल रहा है । चोरी चकरी करना , लूट – मार करना बहुत आसान होगया है । घर वालों से पैसे के लिए झगड़ा , मार पीट एक बहुत आम बात हो गयी है । घर वालों के प्रेशर और तानो की वजह से युवा पीढ़ी का नशों की तरफ जाना भी आम बात होगयी है जिसकी वजह से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है । युवाओं में डिप्रेशन , एंग्जायटी , हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं देखि गयी हैं। पेशेंस लेवल का कम होना भी उसी का नतीजा है। युवाओं में इन सब की वजह से आत्महत्या करना की कोशिश करना भी इसी का एक नेगेटिव इम्पैक्ट है ।
बेरोज़गारी की समस्या को हल करने के लिए क्या किया जा सकता है। Steps to take to cure unemployment!
सरकार की तरफ से एजुकेशन एंड ट्रेनिंग कॉम्पैग्नस : सरकार अपनी तरफ से बहुत सरे एजुकेशन ट्रेनिंग्स लांच क्र सकती है , जिससे गरीब लोग कुछ स्किल्स सीखें और काम क्र पाएं ।
सरकार की तरफ से विभिन्न स्कीमें : सरकार की तरफ से विभिन्न स्कीम लांच करनी चाहिए .
छोटे बिज़नेस और इंडस्ट्रीज में बढ़ोतरी : छोटे छोटे कामो को बढ़ोतरी देने से बेरोज़गारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
सरकार की तरफ से उठाये गए कदम ! steps taken by government to cure unemployment !
(TRYSEM)Training of Rural Youth for Self-Employment : यह स्कीम 1979 में शुरू की गयी थी । इसका उद्देश्य था 18 से 35 साल तक के युवाओं को रोज़गार प्रदान करना ।
(JRY)Jawahar Rozgar Yojana: यह योजना 1 अप्रैल 1989 को शुरू की गयी थी ।
MNREGA (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) : ये स्कीम 2005 में लांच की गयी थी , जिसके मुताबिक व्यक्ति को 100 दिन का काम प्रदान किया जाता है ।
Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana (PMKVY): यह स्कीम 2015 में लांच की गयी थी । इसका उद्देश्य था भारत के युवाओं को स्किल्स सिखाना।
Integrated Rural Development Program (IRDP): यह स्कीम 1980 में लांच की गयी , इसका उद्देश्य था युवाओं को रोज़गार प्रदान करना ।
ILO (International Labour Organization) की रिपोर्ट :
ILO(International Labour Organization) और IHD(Institute of Human Development) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के बेरोजगार कार्यबल में लगभग 83% युवा हैं और कुल बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की हिस्सेदारी 2000 में 35.2% से लगभग दोगुनी होकर 2022 में 65.7% हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-कृषि रोजगार की ओर धीमी गति से बदलाव उलट गया है; स्व-रोज़गार और अवैतनिक पारिवारिक कार्यों में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर महिलाएँ जिम्मेदार हैं; युवाओं का रोजगार वयस्कों के रोजगार की तुलना में खराब गुणवत्ता वाला है, स्थिर या घटती मजदूरी और कमाई के साथ-साथ वयस्कों की तुलना में युवाओं में अवैतनिक पारिवारिक काम का अनुपात अधिक है।
भारत को अपना एम्प्लॉयमेंट रेट बढ़ाने की ज़रूरत है । अब समाये आ गया है की भारत कठोर कदम ले जिसकी वजह से बेरोज़गारी की दिक्कत खत्म की जा सके। नौकरियों की क्वालिटी भी बढ़ाने की ज़रूरत है । छोटी इंडस्ट्रीज और बिज़नेस को बढ़ौतरी देनी होगी जिसकी वजह से रूरल पापुलेशन को नौकरी ढूढ़ने में आसानी हो और वह बेरोज़गार ना रहें । बड़ी कंपनियों को छोटी कम्पनीज को डोमिनाते करना बंद करना होगा , तभी ऐसे गाँव , जगहें विकास करेंगी जहाँ रोज़गार का रेट बहुत कम है । सर्कार की ज़िम्मेदारी बनती है की वह उचित स्कीम लागू करें और युवाओं की मदद करें , तभी भारत की इकॉनमी में भी बढ़ोतरी आएगी !
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